निबंद (esaay) ।। आत्मनिर्भर भारत एक श्रेस्ठ भारत ।। 800 words ||

                निबंध

            आत्मनिर्भर भारत एक                         भारत श्रेस्ठ भारत 


आत्मनिर्भर शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है | आत्म+निर्भर , आत्म का अर्थ  होता है  अपने आप पर (खुद पर) वहीं निर्भर का अर्थ  होता है | किसी वस्तु के लिये किसी पर निर्भर  होना | अर्थात आत्मनिर्भर का अर्थ हुआ की किसी भी वस्तु के लिये या किसी भी कार्य के लिये  किसी और से आशा ना करने की बजाय  अपने आप करना | कोई भी मनुष्य अथवा देश खाने के लिये अथवा अन्य किसी कार्य के लिये यदि किसी पर भी निर्भर रहता है तो वह अपने जीवन में कभी भी तरक्की नहीं  कर सकता |


हमारे प्रधानमंत्री जी आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी ने, आत्मनिर्भर  भारत के निर्माण की और प्रारंभ कर दिया है , और इस से आज हम सब अति प्रसन्न भी है | किंतु हम सब को यह  बात समझनी होगी की सिर्फ खुश होने से कुछ नहीं होगा | हम सब को निसन्देह और निसन्कोच इस अभियान में मोदी जी का और अपने देश का साथ देना होगा | आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करते ही आदरणीय नरेंद्र मोदी जी ने 20 लाख करोड़ का पैकेज भी जारी किया है । जिससे कोरोना जैसी महामारी में देश को सहायता मिले । 


आत्मनिर्भर भारत बनाने में अपना योगदान कैसे दे 

आत्मनिर्भर भारत में योगदान देने के लिये हमें  सबसे प्रथम किसी और देश की वस्तु का उपयोग बैन करना होगा | हम भारतियों को भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिये , नई-नई आधुनिक वस्तुओं का उत्पादन करना होगा |


बच्चे= आज कल बच्चे पढ़ाई करने के लिए विदेश जाते है,बच्चे भी अपना योगदान दे सकते है ।विदेश ना जाकर यदि वह यही शिक्षा प्राप्त करे । बच्चे ऑनलाइन भी बिदशो से शिक्षा प्राप्त करते है और लाखो रुपये देते है। 


जब कोरोना काल में भारत की अर्थव्यवस्ता आहत हुई तो मोदी जी ने देश की अर्थवयवस्था को सुधारने का जो तरीका निकाला, वो था आत्मनिर्भर होना। कैसे हो आत्मनिर्भर यह भी बताया और नाम दिया आत्मनिर्भर भारत ‘अभियान’। वैसे तो आत्मनिर्भर भारत की शुरुआत 1905 में ही महात्मा गान्धी जी ने कर दी थी ,जिसमें विदेशी वस्तुओं का बहिस्कार और स्वदेशी वस्तुओं का इस्तमाल करने के लिये सभी को जागरुक किया गया । 1969-1974 में इन्द्रा गान्धी जी ने भी आत्मनिर्भर भारत पर बल दिया था । लोकल सामान को ग्लोबल बनाने के लिये प्रचार और सरकारी सरकारी काम में पारदर्शिता लाने के लिये टेक्नोलॉजी डृवेन सिस्टम की आवस्यकता को अनिवार्य किया जाए । लोकल वस्तुओं का उपयोग कर युवावर्ग को मुनाफा दिया जाए । लोकल वस्तुओं में से भ्रस्टाचार रूपी मसाले को त्याग कर उनकी गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाए , जिससे देश में निर्मित चीज़ो की बिक्री बढे और निर्यात करने के लिए विस्वास बड़े । देश में ऐसी अवसंरचना हो जो आधुनिक भारत की पहचान बने । आत्मनिर्भरता को बड़ावा देने के लिए उस वस्तु से सम्बंधित उपकरणो को खरीदने के लिए रिसायत मिले । जिससे आयात पर निर्भरता कम हो । यदि हम लॉकडाउन की बात करे तो हम पायेगे की आत्मनिर्भरता के उदहारण बहुत से लोग भी है जो किसी पर निर्भर ना होकर अपने बल पर अपने घर की तरफ निकल गए थे । (उदहारण = 1 मोटरसाइकिल पर पीछे झूला लगा कर अपने पूरे परिवार को लेकर चल पड़े थे । 


इंडस्ट्री को अन्य देशो के मुकावले खडे होने के लायक बनाना होगा , नौकरी लेने वालो में से नही नौकरी देने वालो में से बनना होगा ।आत्मनिर्भर बनने के लिए पहले खुद को प्रेरित करना होगा , अपना काम स्वयं करना होगा और ‘कल’ पर निर्भर ना रह कर आज को म्ह्तब देना होगा । 

जो हम स्वयं के लिए सोचते है वही देश के लिए विचार कर कृयन्व्यां रूप दे तो भारत को आत्मनिर्भर होने से कोई नही रोक सकता ।


 अंत में, मैं इस निबंद के माध्यम से 1 बात पूरे देश को बोलना चाहता हूँ की चीन में रक्षा बन्धन नही मनाते तब भी राखी चीन से आती है । चीन में होली नहीं मनाते तब भी गुलाल चीन से आता है । चीन में दिवाली नही मनाते तब भी लाईट दिवाली के लिए चीन से आती है । हर देश वासी को यह सोचना चाहिए की अगर ये त्योहार हमारे है तो इन से जुड़ी वस्तुएँ भी अपनी होनी चाहिए 




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